बॉलीवुड में ट्रायंगल लव स्टोरी पर कई फिल्मे बनी हैं, कुछ हिट तो कुछ फ्लॉप भी हुई, कई बार तो लगता भी हैं की बॉलीवुड में कहानियो का अकाल पड़ गया, तभी तो उन्ही कहानियो को तोड़मरोड़ कर थोड़ा तड़का मार कर परोस दिया जाता हैं, फिल्म दिल साल सनकी भी ट्रायंगल प्रेम कहानी हैं, जिसमे योगेश कुमार, मदलसा शर्मा, और जिम्मी शेरगिल नज़र आ रहे हैं ।
कहानी की बात करे तो उत्तर प्रदेश के एक गाव की हैं जहाँ दंबंग बच्चा बाबू ( जिमी शेरगिल) का दबदबा हैं, उसी गाव में एक छोटा लड़का बादल बच्चा बाबू बनने की चाह रखने लगा हैं, आखिर बादल ( योगेश कुमार ) बड़ा हो कर बच्चा बाबू के गैंग में शामिल हो कर उसे अपना गुरु बना देता हैं । खेर एक दिन बादल को मेघा ( मदलसा शर्मा ) नज़र आती हैं जिसे देख बादल उस पर मर मिटता हैं, पर मेघा उससे प्यार इसलिए नहीं करती क्युकि वह एक गुंडा हैं, और एक दिन बच्चा बाबू की नज़र भी मेघा पर पड़ती हैं वह भी उन्हें चाहने लगते हैं । बच्चा बाबू की पत्नी ( हृषिता भट्ट ) हैं जिसकी बच्चा बाबू इस लिए हत्या करते हैं की उनकी मेघा से शादी हो सके । जब इस बात की भनक बादल को पड़ती हैं तो वह मेघा और उसके पिता (शक्ति कपूर )को समजाने उसके घर पहुचता हैं, पर मेघा और उसके पिता उसकी बात को समजते उतनी देर में वही बच्चा बाबू भी पहुच जाता हैं और वह बादल को मार कर उत्तर प्रदेश से बाहर फेक आते हैं । तो क्या बच्चा बाबू और मेघा की शादी होती है, क्या बादल से मेघा का प्यार परवान चढ़ पाता हैं, सबसे अहम् सवाल बादल ज़िंदा भी हैं , इन सारे सवालो के जवाब के लिए फिल्म दिल साला सनकी देखनी होंगी ।
स्क्रिप्ट की बात करे तो ठीली नज़र आई कही से भी कोई नयापन नज़र नहीं आया, एक सीन के बाद अगला सीन क्या हैं यह आसानी से समझ में आ जाता हैं, डायरेक्शन तो काफी कमजोर नज़र आता हैं, आप तर्क वितर्क के झमले में पड़ना ही मत लॉजिक की बात कही भी नज़र नहीं आएंगी ।
अभिनय की बात करे तो योगेश कुमार को अभी भी एक्टिंग के साथ डॉयलॉंग डिलीवरी सिखने की आवश्यकता हैं, मदलसा ने ठीक ठाक ही अभिनय किया हैं, रहा सवाल जिमी शेरगिल का तो वह अपने अभिनय में कुछ नया करने की कोशिश करते हैं, पर वह भी क्या करे आखिर डोर तो कैप्टन ऑफ़ शीप के हाथ में होती हैं । शक्ति कपूर पोसिटिव किरदार में अपने अभिनय को ठीक प्रदर्शित किया तो अवतार गिल ने भी ।
कमजोर कड़ी सबसे पहले डायरेक्शन हैं फिर सेट से लेकर हर सीन आपको कमजोर ही नज़र आता हैं ।
संगीत की बात करे तो फिल्म में पांच गाने हैं ठीक है इतने कर्ण प्रिय नहीं हैं ।
पुष्कर ओझा